लेसिक आई सर्जरी के फायदे और नुकसान


आंखें कुदरत की ओर से दी गई सबसे कीमती उपहार हैं। ये जितनी कीमती हैं, उतनी ही संवेदनशील भी हैं। इसलिए तो लोग आंखों का विशेष ख्याल रखते हैं और थोड़ा भी सरदर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करवाते हैं। पहले लोग आंखों की समस्या से निज़ात पाने के लिए चश्मा पहनते थे। लेकिन चश्मा एक बार चढ़ गया तो जिंदगी भर लगाना पड़ता है। लेकिन विकसित होती तकनीक ने आंखों के उपचार को आसान कर दिया है। आजकल डॉक्टर चश्मा लगाने वाले को लेसिक सर्जरी करने की हिदायत देते हैं और लोग लेसिक सर्जरी का फायदा भी उठा रहे हैं। लेसिक सर्जरी कराने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। आइए इस लेख में लेसिक सर्जरी के फायदे और नुकसान के बारे में जानते हैं।

अब सिर्फ एक बैन्डेज लगाने से होगा बर्थ कंट्रोल (ना कॉन्डोम और ना गोली)



ज्यादातर महिलाएं अनचाहे गर्भ से बचने के लिए गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं. अनचाहे गर्भ से बचने के लिए ये गोलियां लेना सबसे आसान उपाय है. पर एक तरफ जहां इन गोलियों के कुछ साइड इफेक्ट भी होते हैं वहीं इन्हें खाना याद रखना भी एक बड़ा काम बन जाता है.

अगर आपको गलती से दवा खाना नहीं याद रहा तो इससे अनचाहा गर्भ हो सकता है, जिससे आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. पर महिलाओं को अब इन समस्याओं से जल्द ही निजात मिल सकेगी. वैज्ञानिकों ने गर्भनिरोधक गोलियों का एक अच्छा विकल्प निकाला है.

इन खास पाइंट्स को दबाने से मिलती है दर्द से तुरंत राहत

एक्युप्रेशर एक ऐसी थेरेपी है, जिसमें शरीर के विशेष पाइंट्स दबाकर बीमारियों को ठीक किया जाता है। शरीर के किसी भी भाग में दर्द हो तो कुछ निर्देशित बिंदुओं पर निश्चित समय तक या 15-20 मिनट तक हल्के हाथों से दबाव देने पर दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है। इस थेरेपी का इस्तेमाल कई बार हम अनजाने में भी करते हैं।

जैसे- सिरदर्द होने पर हम सिर या माथे पर दबाव देते हैं या हाथ -पैर में दर्द होने पर उस भाग को दबाते हैं। यह दबाव देने की प्रक्रिया ही तो एक्युप्रेशर है। लगातार शोध के बाद एक्युप्रेशर का इस्तेमाल छोटे-बड़े रोगों जैसे-गर्दन में दर्द, कंधे में दर्द, कमर दर्द आदि में किया जाने लगा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किन एक्युप्रेशर पाइंट्स को दबाने पर पीठ दर्द व कंधे का दर्द ठीक हो जाता है।

गर्दन व पीठदर्द- गर्दन, पीठ अकड़ जाए या अन्य किसी कारण से दर्द हो रहा हो, तो दोनों पैर के अंगूठे व उंगलियों के दोनों तरफ, ऊपर नीचे जड़ तक दबाव दें। पैरों के ऊपरी हिस्से में दो उंगलियों के बीच के भाग पर दबाव दें। अब अंगूठे के जड़ की तरफ के हिस्से को एक हाथ से दबाएं। कुछ देर में दर्द से राहत मिल जाएगी।

Acupressure Points For Knee Pain Relief

Are you interested in reducing pain and soreness in your knees? Are you suffering from joint pain when you walk or run, or maybe when you go up the stairs?

Thankfully, the acupressure points found on this page can be used to help alleviate your problems.

By using acupressure for knee pain, you may notice a decrease in acute pain, a reduction in swelling around the joint in question, and an increase in blood circulation to the knee area.

This helps promote natural healing by the body.

For best results, you should apply a warm pad or towel soaked in warm water to your knees, to help increase blood flow in and around the joint.

Acupressure Point for Diabetes

Acupressure is a technique that maintains energy of the body by exerting slight pressure on specific points along energy channels of the body. Unlike its name, acupressure uses a very light touch and an acupressurist uses fingertips to make contact with the patient’s body. Location on which acupressure is given holds importance instead of the amount of pressure. Diabetes has no permanent cure, but it can be maintained and prevented by some acupressure techniques that are discussed below:

Science Explains 10 Ways to Stop A Panic Attack Be...

INFORMATION CENTER: Science Explains 10 Ways to Stop A Panic Attack Be...: For those that suffer from panic attacks, they can be a terrible thing. Often, they are misunderstood, and those that suffer from pani...







For those that suffer from panic attacks, they can be a terrible thing. Often, they are misunderstood, and those that suffer from panic attacks are often accused of just being dramatic. This is far from the case though, panic attacks are far from pleasant experiences and to those in the grips of one, they are a very real thing.

Panic attacks are a physical response as a result of a perceived threat, real or otherwise, that is characterized by such symptoms as sweating, shivering, shallow breathing, a racing heart, shaking, and just overall unpleasant feelings. Try to remember how you felt the last time you had a near miss while driving; hydroplaning on a wet road, or nearly colliding with another driver. That feeling you likely experienced, the rush of adrenaline, and the fear is what it feels like to be in the midst of a panic attack.

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INFORMATION CENTER: पंखे से लटककर अब क‍िसी की नहीं जाएगी जान, एंटी सुस...: जब इंसान को ऐसा लगता है कि उसके लिए सारे दरवाजे बंद हो गए हैं तो वह अपने लिए मौत का दरवाजा खोल लेता है लेकिन अगर आत्महत्या करने के दौरान...

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मोटापा ही नहीं कैंसर के रिस्क को भी बढ़ाते हैं फ्र...

HEALTH NEWS CENTER: मोटापा ही नहीं कैंसर के रिस्क को भी बढ़ाते हैं फ्र...: अगर फ्रूट जूस को रोजाना डाइट में शामिल करके आप सोच रहे हैं कि आप अपनी सेहत के लिए कुछ अच्छा कर रहे हैं तो ये आपकी सबसे बड़ी भूल है. ऐस...

मोटापा ही नहीं कैंसर के रिस्क को भी बढ़ाते हैं फ्रूट जूस, रिसर्च में खुलासा



अगर फ्रूट जूस को रोजाना डाइट में शामिल करके आप सोच रहे हैं कि आप अपनी सेहत के लिए कुछ अच्छा कर रहे हैं तो ये आपकी सबसे बड़ी भूल है. ऐसा करके आप खुद को गंभीर बीमारियों से घेरने की तैयारी कर रहे हैं. सुनकर हैरानी हो सकती है, लेकिन हाल ही में फ्रूट जूस पर हुई एक रिसर्च ऐसा ही एक खुलासा कर रही है.

फिटनेस के प्रति सजग लोग अक्सर डाइट और फ्रूट जूस से जुड़ी एक बहुत बड़ी गलती करते हैं. रोजाना डाइट में फ्रूट जूस शामिल करके वो खुद को हेल्दी समझने की भूल करने लगते हैं. फ्रूट जूस में मौजूद सोडा न सिर्फ व्यक्ति के शरीर में मोटापा बढ़ाने का काम करता है बल्कि कैंसर जैसी बीमारियों को भी न्यौता देता है.

GHAR KA VAIDYA: घर के बैद्य - घरेलू नुस्के और सुखी वैवाहिक जीवन

GHAR KA VAIDYA: घर के बैद्य - घरेलू नुस्के और सुखी वैवाहिक जीवन:



सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सेक्स लाइफ का हेल्दी होना बहुत ज़रूरी है. यदि किन्हीं कारणों से आपकी सेक्सुअल लाइफ में पहले जैसी गर्माहट नहीं रह गई, तो परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. किचन में मौजूद आसानी से उपलब्ध खाद्य पदार्थोंं की मदद से आप अपनी बेजान सेक्स लाइफ में नई ऊर्जा का संचार कर सकते हैं.

  • आंवला में पर्याप्त मात्रा में आयरन, ज़िंक और विटामिन सी पाया जाता है, जो न स़िर्फ सेहत के लिए फ़ायदेमंद होता है, बल्कि कामोत्तेजना बढ़ाने में भी मदद करता है. दो टेबलस्पून आंवले के रस में एक टीस्पून सूखे आंवले का पाउडर व एक टेबलस्पून शुद्ध शहद मिलाकर दिन में दो बार खाएं. इस नुस्ख़े केइस्तेमाल से आपका और आपके पार्टनर दोनों का सेक्स पावर धीरे-धीरे बढ़ने लगेगा.

अगर आपके नाखूनों की परत निकलने लगी है तो आप थोड़ा सतर्क हो जाएं

अगर आपके नाखूनों की परत निकलने लगी है तो आप थोड़ा सतर्क हो जाएं

हम अपनी स्किन और बालों का तो बहुत ध्यान रखते हैं. पर बात जब नाख़ुनओं की आती है तो हम उन्हें अवॉइड ही कर देते हैं. ज़्यादा से ज़्यादा काट लिया बस. उनकी सेहत की हमें कोई ख़ासी परवाह नहीं होती. पर भगवान ने हमें नाख़ून सिर्फ़ खुजाने के लिए नहीं दिए हैं. ये हमारी सेहत से जुड़े कई राज़ भी खोलते हैं. इसलिए अगर उनकी परत निकलने लगे तो इनपर थोड़ा ध्यान देना ज़रूरी है.
पर नाख़ून की परतें निकलने क्यों लगती हैं? ये जानने के लिए हमने बात की डॉक्टर निधि गोयल से. वो काया स्किन क्लिनिक मुंबई में डॉक्टर हैं.
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तो क्यों होता है ऐसा

डॉक्टर गोयल कहती हैं:
“ये एक तरह की कंडिशन होती है. इसे अनीकोसीज़िया (Onychoschizia) कहते हैं. इसमें नाख़ून की परतें कोनों से अलग हो जाती हैं. फिर धीरे-धीरे निकल जाती हैं.”


ऐसा क्यों होता है
इसके पीछे कुछ वजहें हो सकती हैं:
-आपके शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक नहीं है
-सूरज की यूवी रेज़ यानी अल्ट्रावॉयलेट किरणों का असर
-जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं हमारे नाखूनों की ग्रोथ का रेट और उनका आकार बदल जाता है.
-ये थाईरॉइड की कमी की वजह से भी हो सकता है. हाइपोथायरायडिज्म एक तरह की कंडिशन होती है जिसमें थाईरॉइड ग्लैंड ज़्यादा एक्टिव नहीं होता. मतलब जिस रेट से उसे हॉर्मोन बनाने चाहिए, उतना वो नहीं बनाता.
-एनीमिया
-नेल पॉलिश. जिन नेल पॉलिश में एसेटोन नाम का एसिड होता है वो बिलकुल अवॉयड करिए. इनसे नाख़ून एकदम ड्राई हो जाते हैं, उनकी परत निकलने लगती है.
इससे कैसे निपटें
-नाख़ून को फ़ाइल करते समय उनकी ऊपरी परत को ज़्यादा मत रगड़िये. इससे आपके नाख़ून चमक तो जाएंगे पर उतने ही कमज़ोर भी हो जाएंगे.
-अपनी नेल पॉलिश को ज़्यादा समय तक लगा मत छोड़िए
-सोने से पहले नेल क्रीम या तेल नाख़ून पर लगा लीजिए
-थाईरॉइड का टेस्ट करवाइए
Source - Odd Nari

पीरियड के बिना भी प्राइवेट पार्ट से खून क्यों आता है?

पीरियड के बिना भी प्राइवेट पार्ट से खून क्यों आता है?



प्रिया को पीरियड्स होने वाले थे. पेट में दर्द शुरू हो गया था. मूड खराब रहने लगा था. पर जब भी वो चेक करती तो उसे सिर्फ स्पॉटिंग दिखती. स्पॉटिंग का मतलब हुआ ब्लड आना. पर बहुत हल्की मात्रा में. तो पीरियड के दौरान आम तौर पर जितनी ब्लीडिंग होती है, उतनी स्पॉटिंग में नहीं होती. पर इसका मतलब ये नहीं कि तीन दिन के अंदर स्पॉटिंग खत्म हो जाती है. ये हफ्ता से लेकर महीने तक चलती है. यही प्रिया के साथ हो रहा था. जब वो डॉक्टर के पास गई तो पता चला उसे ऐसा हॉर्मोन्स की उथल-पुथल की वजह से हो रहा था.

गर्भाशय में गांठ या फाइब्राएड से ऐसे बचें, पढ़ें कारण और इलाज

गर्भाशय में गांठ या फाइब्राएड से ऐसे बचें, पढ़ें कारण और इलाज

गर्भाशय में गांठ या फाइब्राएड विकसित होना महिलाओं की बड़ी समस्या है। इसे गर्भाशय की रसौली या बच्चेदानी की गांठ भी कहते हैं। यह मटर के दाने से लेकर सेब जितनी भी बड़ी हो सकती है। यह बांझपन का बड़ा कारण है।
लक्षण ’ यौन संबंध बनाते समय दर्द होना। ’ मासिक धर्म में अत्यधिक रक्तस्राव। ’ यौन संबंध के दौरान रक्तस्राव। ’ मासिक धर्म के बाद रक्तस्राव। ’ कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द।
कारण ’ मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन का स्राव बढ़ जाता है, जिससे फाइब्राएड की आशंका रहती है। कई बार गर्भधारण के बाद भी फाइब्राएड बन जाता है। ’ धूम्रपान और शराब का सेवन। ’ मांसाहार से भी महिलाओं में फाइब्राएड की समस्या पैदा हो सकती है। ’ गर्भनिरोधक दवाओं का इस्तेमाल। ’ आनुवंशिक कारणों से भी बच्चेदानी की रसौली हो सकती है।
संभव है इलाज गर्भाशय की रसौली का इलाज आसान है। आजकल ओपन सर्जरी के बजाय लेप्रोस्कोपी की तकनीक से इसका आसानी से इलाज किया जा रहा है। इस तकनीक से महिला एक दिन बाद ही हॉस्पिटल से छुट्टी ले सकती है। इस समस्या का होम्योपैथी में भी आसान समाधान है। लक्षणों के हिसाब से कल्केरिया कार्ब, सीपिया, सैबाइना, लिलियम टिग, कल्केरिया फ्लोर, आस्टिलेगो, म्यूरेक्स, साइलीशिया, सोरिनम, सल्फर आदि दवाएं बीमारी को जड़ से समाप्त कर सकती हैं। दवा डॉक्टर की सलाह से ही ली जानी चाहिए।
बच्चों को ब्रेन ट्यूमर से बचाएं वर्तमान जीवनशैली में वयस्कों की तुलना में बच्चों में ब्रेन ट्यूमर के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं। यह दिमाग में विकसित होता है, इसलिए समस्या बढ़ जाने पर इलाज करना मुश्किल हो जाता है। शुरुआती दौर में इलाज न कराया जाए, तो ज्यादातर मामलों में यह जानलेवा साबित होता है। 3 से 15 साल की उम्र में या 50 की उम्र के बाद ब्रेन ट्यूमर ज्यादा देखा गया है। लक्षण ’ सुबह के समय तेज सिरदर्द। ’ हाथों और पैरों में कमजोरी महसूस होना। ’ शरीर का संतुलन बनाने में परेशानी। इलाज वर्तमान में जांच और इलाज के अत्याधुनिक तरीकों के चलते ब्रेन ट्यूमर को हटाना और रोगी के जीवनकाल को बढ़ाना संभव बन गया है। ट्यूमर हटाने के लिए जीपीएस जैसी न्यूरोनेविगेशन तकनीक का उपयोग सफलतापूर्वक किया जा रहा है। इनके अलावा और भी अनेक उपाय हैं।
Source - Hindustan Times

रात के समय महसूस होता है ऐसा, तो हो सकता है कैंसर खतरा

रात के समय महसूस होता है ऐसा, तो हो सकता है कैंसर खतरा

कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिसका नाम सुनकर ही लोग सहम जाते हैं. अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते दुनियाभर के लोग तेजी से इस खतरनाक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. शुरुआत में अगर इस बीमारी का इलाज न किया जाए तो व्यक्ति की जान को भी खतरा हो सकता है.
नेशनल हेल्थ सर्विस की रिपोर्ट के मुताबिक, 3 लोगों में कम से कम एक व्यक्ति को उनके जीवन में एक बार कैंसर होने का खतरा बना रहता है. रिपोर्ट के मुताबिक, U.K में ब्रेस्ट कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और पेट का कैंसर सबसे आम हैं.

कैंसर 200 से अधिक प्रकार के होते हैं, जिनके लक्षण भी एक दूसरे से काफी अलग होते हैं. हालांकि, कई बार कैंसर के लक्षण शुरुआती समय में सामने नहीं आते हैं. लेकिन कई लक्षण ऐसे होते हैं, जिनकी जानकारी न होने की वजह से लोग उसे पहचान नहीं पाते हैं.
U.K की कैंसर रिसर्च के मुताबिक, रात के समय अगर बहुत ज्यादा पसीना आता है तो ये कैंसर का लक्षण हो सकता है. हालांकि, कम ही लोगों में ये लक्षण दिखाई देता है.

कैंसर रिसर्च के मुताबिक, इंफेक्शन या किसी दवाई के साइड इफेक्ट की वजह से भी अक्सर रात के समय अधिक पसीना आ सकता है. महिलाओं में कई बार मेनोपॉज के बाद पसीना आने की समस्या बढ़ जाती है.
लेकिन अगर अक्सर ही आपको रात के समय बहुत ज्यादा पसीना आता है, तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें, क्योंकि ये कैंसर का एक संकेत हो सकता है.

कैंसर रिसर्च ने सलाह देते हुए कहा कि जिन लोगों को ये समस्या है वो अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.
कैंसर चैरिटी के मुताबिक, रात में अधिक पसीना आने का संबंध नॉन-होजकिंग और होजकिंग लिम्फोमा, कार्सिनॉयड, ल्यूकेमिया, मेसोथेलियोमा, हड्डियों का कैंसर और लिवर कैंसर से होता है.
बता दें, नॉन-होजकिन और होजकिंग लिम्फोमा कैंसर व्यक्ति के लिम्फेटिक सिस्टम में बनता है. गर्दन, बांह में सूजन भी इन दो कैंसर के लक्षण हो सकते हैं.
कार्सिनॉयड कैंसर धीरे-धीरे शरीर के किसी भी हिस्से में फैल जाता है. शरीर के जिस हिस्से में ये कैंसर होता है, इसके लक्षण भी उसी पर निर्भर करते हैं.

ल्यूकेमिया कैंसर- इस कैंसर में सफेद रक्त कोशिकाएं प्रभावित होती हैं. इस कैंसर में स्किन पीली पड़ जाती है. थकान महसूस होती है. सांस लेने में परेशानी होती है. समय-समय पर बुखार आने लगता है. वजन घटने लगता है. हड्डियों और जोड़ों में दर्द होता है.

आपको अगर अपनी सेहत और शरीर में कोई भी बदलाव दिखाई देते हैं तो अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.
Source - Aaj Tak

बच्चे को कैंसर से बचा सकती है ब्रोकोली, जानें कब खाएं

बच्चे को कैंसर से बचा सकती है ब्रोकोली, जानें कब खाएं

गर्भावस्था में ब्रोकोली खाना खासा फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके गर्भस्थ शिशु के कैंसर का शिकार होने की आशंका घट जाती है. बर्मिंघम की अलबामा यूनिवर्सिटी के अपने एक स्टडी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

दरअसल, ब्रोकोली में glucoraphenin तत्व अधिक मात्रा में पाया जाता है. यह कैंसर कोशिकाओं से लड़ने की अद्भुत क्षमता रखता है. ब्रोकली में sulforaphane नामक खास यौगिक भी होता है. यह पाचन तंत्र में आइसोथायोसाइनेट में बदल जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं के विभाजन को बढ़ावा देने वाले जीन को निष्क्रिय करता है.
पहले भी हो चुके हैं रिसर्च

इससे पहले भी अमेरिका की ऑरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी (ओएसयू) और ऑरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने एक अध्ययन में सुझाव दिया था कि ब्रोकोली और क्रूसीफेरस सब्जियों से प्राप्त होने वाले sulforaphane (यौगिक) में लंबे समय तक कैंसर की रोकथाम वाले सबूत मिले हैं. इसलिए सल्फोराफेन कैंसर वृद्धि को कम करने में मददगार हो सकता है.
ओएसयू कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ह्यूमन साइंसेज की प्रोफेसर एमिली हो ने बताया था कि अध्ययन के बाद महिलाओं की जांच में हम यह देखकर चकित हो गए थे कि इस यौगिक के द्वारा उन असाधारण चिन्हों में कमी आई थी. इसका तात्पर्य है कि यह यौगिक कैंसर वृद्धि को कम कर सकते हैं.
पहले हुए अध्ययनों में भी बताया गया है कि क्रूसीफेरस सब्जियां जैसे ब्रोकोली, गोभी या फूलगोभी का सेवन स्तन कैंसर के खतरे को कम करता है. इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को चाहिए वे अपने खान-पान में ब्रोकोली जरूर शामिल करें.
Source - Pakwan Gali

इजरायली वैज्ञानिकों का दावा, एक साल के भीतर ढूंढ लेंगे कैंसर का इलाज

इजरायली वैज्ञानिकों का दावा, एक साल के भीतर ढूंढ लेंगे कैंसर का इलाज

एक इजरायली फार्मा कंपनी ने दावा किया है कि उसके पास एक साल के भीतर कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को जड़ से खत्म करने का इलाज मौजूद होगा.
एक्सीलरेटेड एवॉल्यूशन बायोटेक्नॉलजीस (AEBi) नाम की कंपनी ने कैंसर का इलाज ढूंढ निकालने की बात कही है. इस कंपनी के बोर्ड चेयरमैन डैन एरिडोर ने कहा कि कैंसर का पूरी तरह से इलाज जल्द ही संभव होगा.
कंपनी के बोर्ड चेयरमैन एरिडोर ने द जेरुसलम पोस्ट को बताया, "हमारा कैंसर का इलाज पहले दिन से ही प्रभावी होगा और यह कुछ हफ्तों तक चलेगा. इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा और बाजार में मौजूद दूसरे ट्रीटमेंट की तुलना में काफी सस्ता होगा. हमारा ट्रीटमेंट जेनरिक और पर्सनल दोनों होगा."
द जेरूसलम पोस्ट के मुताबिक, AEBi के कैंसर के इलाज को MuTaTo नाम दिया गया है जिसका अर्थ 'मल्टी टार्गेट टॉक्सिन' है. कंपनी का कहना है कि इस ट्रीटमेंट में कई पेप्टाइड्स एक साथ कैंसर कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें खत्म कर देंगे. ये पेप्टाइड्स अमीनो एसिड की श्रृंखला के कंपाउंड होंगे. कई स्तरों पर कैंसर कोशिकाओं पर होने वाला यह हमला ही इलाज को असरदार बनाएगा.
AEBi CEO इलान मोराड ने बताया, हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि कैंसर का इलाज म्यूटेशन से प्रभावित ना होने पाए, कैंसर कोशिकाएं इस तरीके से म्यूटेट हो सकती हैं कि टार्गेट किए गए रिसेप्टर्स कैंसर से बच जाएं. हम एक बार में रिसेप्टर्स पर एक हमला करने के बजाय एक बार में तीन अटैक करेंगे. यहां तक कि कैंसर भी एक बार में तीन रिसेप्टर्स को म्यूटेट नहीं कर सकता है."
मोराड ने दावा किया कि AEBi ने अपने कैंसर ट्रीटमेंट का प्रयोग चूहों में किया और इस प्रक्रिया में चूहों की स्वस्थ कोशिकाओं को बिल्कुल नुकसान नहीं पहुंचा. कंपनी ने कई in-vitro ट्रायल पूरे कर लिए हैं और जल्द ही इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो जाएगा. AEBi के CEO ने कहा कि ये परीक्षण कुछ सालों के भीतर ही पूरे हो जाएंगे और कुछ खास कैंसर मामलों के लिए जल्द उपलब्ध भी होंगे.
इजरायली कंपनी ने दावे तो बहुत किए हैं लेकिन किसी ऐसी रिसर्च का जिक्र नहीं किया है जिससे उनके दावे की पुष्टि हो सके. हालांकि, AEBi ने जिस तरह के ट्रीटमेंट का दावा किया है, वह वाकई अनोखा है. दुनिया भर में होने वाली मौतों में कैंसर दूसरी सबसे बड़ी वजह है इसलिए कैंसर के इलाज का मेडिकल दुनिया बेसब्री से इंतजार कर रही है.
Source - Aaj Tak

सर्दियों में हीटर के सामने बैठना हो सकता है खतरनाक, रहें सावधान

सर्दियों में हीटर के सामने बैठना हो सकता है खतरनाक, रहें सावधान

सर्दी का कहर जारी है. सर्दियों के मौसम में ठंड से बचने के लिए लोग अक्सर रूम हीटर का सहारा लेते हैं. सर्दियों में सर्द हवाओं के बीच हीटर के आगे बैठने का एहसास ही लोगों के मन को खुश कर देता है. हम से अधिकतर लोग तो हीटर जलाकर ही सोते हैं. अगर आप भी सर्दी से बचने के लिए अपने घरों में हीटर जलाते हैं तो ये खबर आपको निराश कर सकती है आइए जानते हैं क्यों...
रूम हीटर से सेहत को होते हैं ये नुकसान-
1. आप जब घर के अंदर हीटर जलाते हैं, तो इससे निकलने वाली हवा आपके आस-पास के पर्यावरण से मॉइस्चर को खत्म कर देती है. हवा ड्राई होने के कारण इससे स्किन में खिंचाव और एलर्जी होने का खतरा अधिक रहता है.
2. बच्चों की स्किन बहुत ज्यादा कोमल होती है. हीटर से निकलने वाली ड्राई एयर बच्चों की नाजुक स्किन को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती है. कई बार इससे बच्चों को जलने का खतरा भी रहता है.
3. सभी जानते हैं कि रूम हीटर हवा से मॉइस्चर को खत्म कर देता है, जिससे हवा ड्राई हो जाती है. इससे सांस संबंधी मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. इसलिए जिन लोगों को अस्थमा या स्किन संबंधी कोई भी बीमारी हो, वे हीटर के इस्तेमाल से बचने की कोशिश करें.
4. हीटर के आगे बैठने के बाद रूम से बाहर निकलने पर शरीर के तापमान में तेजी से बदलाव होने लगते हैं. ये बदलाव व्यक्ति को कई बीमारियों का शिकार बना सकते हैं.
5. लंबे समय तक हीटर के सामने बैठे रहने से शरीर को जलने का भी खतरा रहता है. स्किन संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं.
Source - Aaj Tak

अलसी का काढ़ा पीना है बहुत सेहतमंद, जानिए कैसे


सेहतमंद रहने के लिए अच्छा और संतुलित खान-पान बहुत जरूरी है. अच्छा खान-पान यानी दाल, सब्जी, फ्रूट्स, बीज आदि सभी चीजों को खाने में शामिल करना चाहिए. ऐसे ही बीजों में से एक है अलसी के बीज. अलसी में भरपूर मात्रा में विटामिंस, मिनरल्स, फाइबर, ओमेगा 3 फैटी एसिड आदि शामिल होता है. आइए जानते हैं क्या है अलसी का काढ़ा बनाने का तरीका और इसे पीने के फायदे.

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