आसन परिचय : उर्ध्व का अर्थ होता है ऊपर और तान का अर्थ तानना अर्थात शरीर को ऊपर की और तानना ही उर्ध्वोत्तानासन है। अनजाने में ही व्यक्ति कभी-कभी आलसवश दोनों हाथ ऊपर करके शरीर तान देता है। शरीर को ऊपर की ओर तानते हुए त्रिबंध की स्थिति में स्थिर रहना चाहिए।
आसन विधि :
- सबसे पहले सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं। रीढ़ व गर्दन एक सीध में रखें। इस दौरान श्वास-प्रश्वास की गति सामान्य बनाए रखें।
- इसके बाद श्वास भरते हुए कंधों को पीछे कर हाथों को बगल से धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। कंधे की सीध में आने पर हथेली की दिशा आसमान की ओर करते हुए हाथों को कान से लगा दें।
- फिर कोहनियों को मोड़ते हुए विपरीत भुजाओं को पकड़े। गर्दन नीचे झुकाएं।
- अब पंजे के बल रहते हुए एड़ी उठाएं, फिर श्वास भरते हुए पंजों पर दबाव, पिण्डलियों में कसावट, जंघा की मांसपेशियों को ऊपर की ओर खींचें। नितंब को कसावट देते हुए नाभि अंदर, सीना बाहर पूरी श्वास भर लें। इस दौरान श्वास-प्रश्वास सामान्य बनाए रखें।
- जंघा की मांसपेशियों को ऊपर उठाते समय घुटना भी ऊपर आएगा। ध्यान रखें इसे उठाएं पर पीछे की ओर न दबाएं।
- अब धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए नाभि को संकुचित कर उड्डीयन बंध लगाकर मूलबंध भी लगा लें। बाद में कुंभक की स्थिति में कुछ क्षण रुकें।
- अंत में वापस आने के लिए धीरे-धीरे विपरीत क्रम से बंध खोलते हुए वापस उसी स्थिति में आएं, जहां से आसन प्रारंभ किया था।
- यह आसन और भी कई तरीकों से किया जाता है।
लाभ :
इस आसन के नियमित अभ्यास से मोटापा और शरीर की अतिरिक्त चर्बी दूर होती है। इससे डायबिटीज के मरीजों को लाभ मिलता है। रीढ़ लचीली बनने से लंबाई बढ़ाने में लाभ मिलता है। पाचन संबंधी रोग दूर होने से शरीर स्फूर्त व मन प्रफुल्लित रहता है।
सावधानियां :
- जंघा की मांसपेशियों को ऊपर उठाते समय घुटना भी ऊपर आएगा। ध्यान रखें इसे उठाएँ पर पीछे की ओर न दबाएं।
- रीढ़ लचीली होगी।
- पाचन संबंधी रोग दूर होंगे।
- मधुमेह दूर होगा। शारीरिक वक्रता दूर होगी।
- पेडू प्रदेश के रोगों को दूर करने में लाभदायक।
- शरीर स्फूर्त व मन प्रफुल्लित करेगा।
- मोटापा व शरीर की अतिरिक्त चर्बी दूर होगी।
- लंबाई बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।
कब करें
रीढ़ विकृतियों में, कमजोर पैरों की स्थिति में, मोटापे में, ड्रॉपिंग शोल्डर व नैरो चेस्ट की स्थिति में।