आघात प्रायः सभी प्रकार की बड़ी चोटों या आकस्मिक घटनाओ पर हो ही जाता है यह ऐसी शक्तिहीनता की अवस्था है जिससे की शरीर की जीवनावश्यक क्रियाए सब मन्द पड़ जाती है इसके साथ - साथ रक्त परिभ्रमण की पद्धति में स्थायी शक्तिहीनता से पूर्ण न्यूनता तक परिवर्तन हो जाता है यह दो प्रकार का होता है -
1.Nerve Shock
2. Established Shock
आघात के कारण -
1. शरीर से बहुत अधिक रक्त बह जाने के कारण ।
3. बहुत अधिक दर्द के कारण ।
4. बहुत अधिक ठण्ड लगने के कारण ।
5. रोगी के साथ फालतू छेड़खानी और तंग करने के कारण ।
6. बहुत ज्यादा ख़ुशी, गम या चिंता के कारण ।
आघात के चिह्न और लक्षण-
1. रोगी का चेहरा और होठ पीले या नीले हो जाते है।
2. उसके माथे पर ठण्डेपसीने आते है ।
3. चमड़ी ठण्डी और चिपचिपी हो जाती है ।
4. नब्ज तेज प्रतीत होती है ।
5. उल्टी आने की इच्छा होती है ।
6. श्वास का ताल - मेल नही रहता ।
7. रोगी बेचैनी महसूस करता है ।
8. शरीर का तापमान कम हो जाता है ।
9. शरीर शिथिल हो जाता है ।
10. प्यास अधिक लगती है ।
आघात का फर्स्ट ऐड -
1. रोगी को आराम वाली दशा म रखे ।
2. उसके साथ सहानुभूति और ढाढस बधाने वाले शब्दों का प्रयोग करे ।
3. जहा से रक्त बह रहा हो, फ़ौरन रोके ।
4. रोगी को छाती,गर्दन,और कमर के कपड़ो को ढीला कर दे।
5. आस - पास की भीड़ को हटाए और रोगी पर छाया और ताजी हवा का प्रबंध करे ।
6. रोगी के शरीर की गर्मी को नष्ट न होने दे, कपडे उढा दे मौसम के अनुशार ।
7. कम से कम और सावधानी से हिलाये - डुलाये।
8. रोगी की पांव वाली जगह थोड़ी ऊँची रखे उसको शांत रखे और यदि छाती आदि पर घाव हो तो सिर की तरफ ही ऊँची रखे ।
9. रोगी के सामने उसकी बीमारी (मर्ज) के बारे में किसी दूसरे के साथ कानाफूसी मत करे ।
10. यदि बेहोश न हो और सिर पर या पेट के अंदर घाव हो और ऑपरेशन के लिये ले जाना हो तो खाने - पीने के लिये मुँह व्दारा कुछ न दे केवल बर्फ चुसाये।
11. यदि खा - पी सके तो थोड़ी - थोड़ी गर्म चाय, काफी, दूध आदि अधिक चीनी मिलाकर दे ।
12. यदि रोगी मुर्छित है या श्वास लेने में कष्ट हो रहा हो तो (सूंघने वाला नमक) सुंघाये (जब तक की सिर पर घाव न हो तो ) ।
13. अगर रोगी वमन करना चाहे तो मुँह एक ओर कर दे (सीधा न रखे)।
14.फौरन डॉक्टरी सहायता प्राप्त करे ।