आपने अखबारों और टीवी चैनलों पर अक्सर एक विज्ञापन यानी प्रचार देखा होगा. जिसका मकसद आपको फैमिली प्लानिंग मतलब परिवार नियोजन के लिए जागरूक करना होता है. अब क्या है कि देश की बढ़ती जनसंख्या पर थोड़ा नियंत्रण लाने के लिए भारत सरकार फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम 60 साल से चला रही है. खैर, आपके लिए मुद्दे की बात ये है कि आप कब तक प्रेगनेंट नहीं होना चाहती, कब मां बनना चाहती हैं. ये सब आपके हाथ में है. इसके लिए कई उपाय मौजूद हैं, जैसे नसबंदी, कॉन्डम का इस्तेमाल, आईयूसीडी, गर्भनिरोधक इंजेक्शन, गोलियां और इमरजेंसी गर्भ निरोधक गोलियां.
अब सवाल ये भी उठता है कि गर्भनिरोधक इंजेक्शन और आईयूसीडी डिवाइस कितने कारगर होते हैं. कैसे काम करते हैं. कैसे होना चाहिए इनका इस्तेमाल. क्या ये फायदे के साथ-साथ नुकसान भी देते हैं. आज इन्हीं सवालों का जवाब खोजते हैं.
IUCD यानी इंट्रा यूटरिन कॉपर डिवाइस
आईयूसीडी यानी इंट्रा यूटरिन कॉपर डिवाइस प्लास्टिक और कॉपर से बनी एक छोटी सी डिवाइस होती है. इसे गर्भाशय में इंसर्ट किया जाता है. IUCD यूटरस में स्पर्म और एग को मिलने से रोकता है. जिससे गर्भ धारण यानी प्रेगनेंट होने की प्रक्रिया रुकती है.
कैसे?
औरतों की जो बच्चेदानी होती है, उसके दोनों तरफ ओवरीज़ यानी अंडाशय होते हैं. इनसे हर महीने एक अंडा निकलता है, जो बच्चेदानी में जाता है और इंतजार करता है कि कोई स्पर्म आकर मिले और बच्चा बनने की शुरुआत हो. IUCD इसी प्रक्रिया को रोकता है. इस डिवाइस के एक छोर पर दो धागे होते हैं. दूसरा छोर वजाइना में रहता है. जहां से इसे आसानी से निकाला जा सकता है. ज्यादातर आईयूसीडी T शेप के होते हैं. इनकी लंबाई माचिस की तिली के बराबर होती है.
दो तरह के आईयूसीडी मिलते हैं
1. IUCD 375 उल्टे U शेप का ये डिवाइस 5 साल तक गर्भ से छुट्टी देता है.
2. IUCD 380-A T शेप का ये डिवाइस 10 साल तक गर्भ से छुट्टी देता है.
क्या हैं IUCD के फायदे?
1. आईयूसीडी के इस्तेमाल से लंबे समय तक अनचाहे गर्भ धारण से बचा जा सकता है.
2. इससे प्रजनन क्षमता यानी आने वाले वक़्त में बच्चे पैदा करने की शक्ति पर कोई असर नहीं पड़ता.
3. अगर आप प्रेगनेंट होना चाहती हैं, तो आसानी से इस डिवाइस को निकलवा सकती हैं.
कोई साइड इफेक्ट भी है क्या?
मैक्स हॉस्पिटल की डॉक्टर अनुराधा कपूर के मुताबिक हर चीज़ का साइड इफेक्ट होता है. आईयूसीडी डलवाने के बाद महिलाओं को कुछ दिक्कतें होती हैं.
1. IUCD डलवाने के बाद योनी में सूजन हो सकती है. कभी-कभी ब्लड भी निकलता है.
2. आईयूसीडी डलवाने के बाद कई महिलाओं को पीरियड के दौरान दर्द बढ़ जाने की शिकायत हो सकती है.
3. अगर आपके गर्भाशय में पहले से कोई इंफेक्शन है, तो IUCD डाले जाने के बाद वो बढ़ सकता है.
4. हालांकि IUCD डाले जाने के बाद प्रेगनेंट होने की संभावना न के बराबर होती है. लेकिन अगर प्रेग्नेंसी होती है, तो डॉक्टर से चेक कराना जरूरी है कि कहीं वो प्रेग्नेंसी यूटरस बच्चेदानी की बजाए उस नली में तो नहीं हो गए जो अंडाशय से बच्चेदानी तक आती है.
5. कभी-कभार IUCD खुद ब खुद बाहर निकल आता है और आप ध्यान नहीं दे पाती. ऐसा पीरियड के दौरान हो सकता है.
प्रेग्नेंसी रोकने के लिए इंजेक्शन भी है विकल्प
अगर आप प्रेगनेंट नहीं होना चाहती तो इसके लिए इंजेक्शन भी मौजूद हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल ही अंतरा प्रोग्राम के तहत गर्भ निरोधक इंजेक्शन MPA लॉन्च किया. एमपीए यानी Medroxyprogesterone acetate. ये इंजेक्शन शरीर में प्रोजेस्टोजन रिलीज़ करता है. जो ओवरीज़ से हर महीने अंडे निकलने की प्रक्रिया को रोकता है. सर्विक्स के म्यूकस को गाढ़ा कर स्पर्म को ब्लॉक करता है. इस इंजेक्शन का हर डोज़ तीन महीने के लिए प्रेग्नेंसी रोकता है.
लेकिन क्या ये सेफ है?
सरकारी अस्पतालों में फ्री में मिल रहे इस इंजेक्शन के साइड इफेक्ट भी हैं. दिल्ली के शान्तः फर्टिलिटी सेंटर की डॉक्टर अनुभा सिंह बताती हैं, ‘मैंने इसके सबसे ज्यादा साइड इफेक्ट हेवी ब्लीडिंग और हड्डियां कमजोर होने के तौर पर देखा है.’ कई औरतों को इसकी वजह से कुछ समस्याएं झेलनी पड़ी हैं. जैसे,
1. हड्डियों, लीवर और खून से जुड़ी दिक्कतें आ सकती हैं.
2. पीरियड्स न आना, पेट में दर्द, चिड़चिड़ापन और सिरदर्द.
सबसे जरूरी है कि आप IUCD प्रशिक्षित डॉक्टर या नर्स से ही डलवाएं. आप चाहे आईयूसीडी का इस्तेमाल कर रही हों या फिर इंजेक्शन लगवा रही हों. कोई भी तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
हमें हर रोज अख़बारों में तरह-तरह विज्ञापन दिखते हैं जो हमें अनचाहे गर्भ से बचने के लिए तरह-तरह की चीजों के बारे में बताते हैं. मगर हमें ये भी समझना चाहिए कि अगर हम अपने पतियों या पार्टनर को समझाएं कि उनका कॉन्डम का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. इससे न सिर्फ अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है बल्कि सेक्स से फैलने वाली जानलेवा बीमारियों से भी बच सकते हैं.